शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

मेरे मित्र : भूपेन्द्र सिँह

मेरे बरसोँ पुराने सखा भूपेँद्र, जिनसे शीघ्र ही आपको परिचित कराऊँगा। ठाकुर साहब मेँ ठकुरैती नहीँ मिलेगी, सहृदयता मेँ संतोँ को भी पीछे छोड़ देँ। समझ विद्वानोँ की और भोलापन बच्चोँ सा। लगन और नफ़ासत लखनऊ की, फक्कड़ी इलाहाबाद की, निवास मुंबई का और दिल मेँ प्यार सारे जहाँ का।

Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस

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