जंग छिड़ने ही वाली है (गर्मी से), कुमुक (कूलरों की शक्ल में) मोर्चे पर पहुँच चुकी है। रसद (पानी-बिजली) का पता नहीं क्या होगा इस बार जंग के दौरान।
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Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
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