भावी भारत के कर्णधार!
प्राचीन संस्कारों पर तुम,
अधुना की पहली ईंट धरो
जो सभ्य शिष्ट सब श्व: को दो,
कुत्सित सब ह्य: की भेंट करो
हर सत्य बना डालो सुंदर,
पर सभी अमंगल शिवम् हरे
सारे रत्नों को बाँटे तो,
पर गरल-पान वह स्वयम् करेविध्वंस करो, पर याद रहे!
उससे दूना निर्माण करो
स्वर्णिम कल की बलिवेदी पर,
अर्पित तुम अपने प्राण करो
जब दर्द हृदय में उठे; नहीं-
आँखें आँसू की ओट करो
हे नवयुग के निर्माता तुम
दूनी ताकत से चोट करो गढ़-गढ़कर प्रतिमा कल की तुम,
हो सके-आज तैयार करो
कह दो तानाशाहों से- मत
जज़्बातों का व्यापार करोहै आज रुष्ट जो मूर्ति, तुम्हारी छेनी और हथौड़े से
कल वह महत्व पहचानेगी, लोगों के शीश झुकाने का
जो आज बना विद्रोही है, हर रूढ़ि और अनुशासन का-
इतिहास गवाही देता वह - निर्माता नए ज़माने का!
प्राचीन संस्कारों पर तुम,
अधुना की पहली ईंट धरो
जो सभ्य शिष्ट सब श्व: को दो,
कुत्सित सब ह्य: की भेंट करो
हर सत्य बना डालो सुंदर,
पर सभी अमंगल शिवम् हरे
सारे रत्नों को बाँटे तो,
पर गरल-पान वह स्वयम् करेविध्वंस करो, पर याद रहे!
उससे दूना निर्माण करो
स्वर्णिम कल की बलिवेदी पर,
अर्पित तुम अपने प्राण करो
जब दर्द हृदय में उठे; नहीं-
आँखें आँसू की ओट करो
हे नवयुग के निर्माता तुम
दूनी ताकत से चोट करो गढ़-गढ़कर प्रतिमा कल की तुम,
हो सके-आज तैयार करो
कह दो तानाशाहों से- मत
जज़्बातों का व्यापार करोहै आज रुष्ट जो मूर्ति, तुम्हारी छेनी और हथौड़े से
कल वह महत्व पहचानेगी, लोगों के शीश झुकाने का
जो आज बना विद्रोही है, हर रूढ़ि और अनुशासन का-
इतिहास गवाही देता वह - निर्माता नए ज़माने का!
Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें