आजकल सुबह-शाम की सैर भी सोने की चादर पे होती है। ज़मीं से आस्माँ तक सुनहले हो गए हैं। यक़ीन न हो तो ख़ुद देख लीजिए।
Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
यानी एक कोशिश…
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beautiful.....mohan ji.
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