हिमान्शु मोहन || Himanshu Mohan
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यानी एक कोशिश…
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एक और काव्यचित्र : दोस्ती...
मई की आख़री शामोँ मेँ से एक...Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
यह एक काव्यचित्र भी है और मेरी एक ख़्वाहिश भी, एक ख़्वाब भी जो मैँ जानता हूँ कभी पूरा नहीँ होगा...
अधूरा रहेगा, मेरी ही तरह...Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
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चन्द्रशेखर आज़ाद की प्रतिमा, शहीद हुए जहाँ वो उसी स्थान पर लगभग। मेले हर बरस लगने की उम्मीद भी कुछ ज़्यादा ही लगा ली क्या रामप्रसाद बिस्मिल ने?
सालाना माल्यार्पण तो होता है यहाँ और उस दिन आइस्क्रीम और चुरमुरे के ठेले भी आ जाते हैँ एक दो, मेला.. पता नहीँ और जगहोँ पर यह भी होता है या नहीँ! अब सेलेबुलता के आधार पर मेले प्रायोजित किए जाते हैँ। जय हो!Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
मैंने यह तय किया है कि पोस्टरस पर कण्टेण्ट पोस्टें और अन्य माइक्रो-पोस्टें जो सीधे मोबाइल से होती हैं, जारी रखूँगा। इस क्रम में ब्लॉगर पर ऑटोपोस्टिंग संगम तीरे से बन्द कर के दूसरे ब्लॉग पर शुरू कर दूँगा और वर्डप्रेस पर जारी रखूँगा इसी "इलाहाबादी बतकही" को जो नमस्तेजी वाले एड्रेस पर है। आख़िर पोस्टरस ने ही मेरी ब्लॉगिंग शुरू करवाई थी और इतना आसान भी तो है यहाँ पोस्ट करना!
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