सभा चल रही है। धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र, रंगभेद जैसे मुद्दोँ पर विचार नहीँ होगा। दहेज, आतंकवाद, कन्या-भ्रूण हत्या, घोटाले, आईपीएल, सानिया-शोएब, नोट-वोट-माला और आरक्षण आदि पर आदमीपन नहीँ दिखाया जाएगा। दुम का प्रयोग सामाजिक स्तर पर नहीँ, निजी तात्कालिक ज़रूरतोँ को स्वतः निपटाने हेतु किया जा सकता है। बुनियादी मुद्दोँ जैसे भूख, आवास आदि पर प्रयास जारी रहेँगे, चर्चाएँ व सभाएँ नहीँ की जाएँगी। मतभेद की दशा मेँ निपटारा कोने मेँ नहीँ, खुले मैदान मेँ होगा-और बीच मेँ कोई नहीँ आएगा। अभी सामूहिक स्वल्पाहार पर संगठन को मज़बूत करने के लिए कार्यकर्ता जुटे रहेँगे।
Posted via email from Allahabadi's Posterous यानी इलाहाबादी का पोस्टरस
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